गांधी चिकित्सा महाविद्यालय में “वन वर्ल्ड, वन हेल्थ” विषय पर जागरूकता संगोष्ठी सम्पन्न
भोपाल — गांधी चिकित्सा महाविद्यालय के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग द्वारा आज “वन वर्ल्ड, वन हेल्थ” विषय पर एक महत्वपूर्ण जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन किया गया। स्वास्थ्य क्षेत्र में समग्र दृष्टिकोण और एकीकृत चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में चिकित्सा जगत के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों, संकाय सदस्यों, शोधार्थियों एवं छात्रों ने उत्साहपूर्ण सहभागिता दर्ज की।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में पुणे से आए ख्यातिप्राप्त यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुरेश पाटणकर तथा आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री अशोक वार्ष्णेय ने संबोधित किया। दोनों विशेषज्ञों ने “वन वर्ल्ड, वन हेल्थ” की अवधारणा को वैज्ञानिक और तर्कपूर्ण आधार पर समझाते हुए बताया कि आज के युग में मानव, पशु एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान केवल एक समन्वित और इंटीग्रेटेड हेल्थ मॉडल के माध्यम से ही संभव है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता आईएएस श्री मयंक अग्रवाल ने की। अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं को आधुनिक विज्ञान, पारंपरिक ज्ञान और सामुदायिक सहभागिता के समन्वय से और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। उन्होंने समग्र स्वास्थ्य मॉडल को अपनाने पर विशेष बल दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ गांधी चिकित्सा महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. कविता एन. सिंह के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने महाविद्यालय में स्वास्थ्य जागरूकता, सामुदायिक अनुसंधान और इंटीग्रेटेड मेडिसिन के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए इस संगोष्ठी को समय की आवश्यकता बताया।
मुख्य वक्ता श्री अशोक वार्ष्णेय ने “स्वस्थ व्यक्ति निर्माण” के भारतीय दृष्टिकोण पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत की चिकित्सा पद्धतियाँ सदियों से समग्र स्वास्थ्य पर केंद्रित रही हैं और आज यही मॉडल विश्व को दिशा दिखा सकता है। उन्होंने भारतीय स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने तथा आयुर्वेद, योग और आधुनिक चिकित्सा को एक साथ मिलाकर चलने की आवश्यकता बताई।
वहीं यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुरेश पाटणकर ने अपने अनुभवों के आधार पर बताया कि एलोपैथी में कार्य करते हुए कई बार आयुर्वेदिक दवाओं और उपचारों से मरीजों को बेहतर परिणाम मिले हैं। उन्होंने कहा कि इस दिशा में वैज्ञानिक अनुसंधान की बहुत संभावनाएँ हैं और आधुनिक चिकित्सा के साथ पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का वैज्ञानिक एकीकरण भविष्य की महत्वपूर्ण जरूरत है।
कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की प्रभारी अध्यक्ष डॉ. अंशुली त्रिवेदी ने “वन वर्ल्ड, वन हेल्थ” की अवधारणा, IAPSM एवं ICMR की थीम और इस वैश्विक विचार को जन-जन तक पहुँचाने की रणनीति के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उनके अनुसार यह मॉडल न केवल बीमारियों की रोकथाम में सहायक है, बल्कि समाज को दीर्घकालिक स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करता है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अंशुली त्रिवेदी, डॉ. अर्चना श्रीवास्तव एवं डॉ. अमृता पटेरिया ने संयुक्त रूप से किया। अंत में प्रो. डॉ. लोकेंद्र दवे ने सभी अतिथियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
संगोष्ठी में गांधी मेडिकल कॉलेज के संकाय सदस्य, स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्र, नर्सिंग और पैरामेडिकल छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम न केवल स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित हुआ, बल्कि इंटीग्रेटेड हेल्थ सिस्टम के महत्व को रेखांकित करने वाला प्रभावी मंच भी बना।



